प्रेगनेंसी में डबल मार्कर टेस्ट क्या होता है और क्यों किया जाता है | Double Marker Test in Pregnancy in Hindi

 
double marker test, double marker test price, dual marker test, double marker test cost

Double Marker Test in Pregnancy in Hindi - आज हम समझेंगे की डबल मार्कर टेस्ट क्या होता है और डबल मार्कर टेस्ट होने वाले बच्चे के लिए कितना जरूरी होता है।
 
 

क्या होता है डबल मार्कर टेस्ट - Double Marker Test in Pregnancy in Hindi

ड्यूल मार्कर टेस्ट एक ऐसा ब्लड टेस्ट होता है जो गर्भावस्था के पहले तिमाही (First trimester) में किया जाता है। 
 
यह टेस्ट गर्भ में पल रहे बच्चे में जन्म जात विकार (Birth Defects) को पता करने में किया जाता है। 
 
इस टेस्ट का उपयोग डाउन सिंड्रोम या क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलटीस को पता करने के किया जाता है।
 
इस टेस्ट में दो चीजें पता की जाती हैं एक ब्लड में फ्री बीटा ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोफिन (free beta HCG) और दूसरा प्रेगनेंसी एसोसिएट प्लाज्मा प्रोटीन-A (PAPP-A)
 
इन दोनों का ब्लड में स्तर कम या ज्यादा होना बर्थ डिफेक्ट्स (Chromosomal Abnormalities) को दर्शाता है। 
 
इससे बच्चे में डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम और पटाउ सिंड्रोम (Patau's Syndrome) का पता पहले से लग जाता है।
 
हालांकि किसी भी अंतिम परिणाम पहुंचने से पहले डॉक्टर NT स्कैन टेस्ट (अल्ट्रासाउंड) जरूर करवाता है ताकि एक सही नतीजे पर पहुंच सके।
 
 

बर्थ डिफेक्ट्स होने की संभावना कब अधिक होती है

जो महिलाएं 35 की उम्र के बाद गर्भवती होती हैं या उनके परिवार में डाउन सिंड्रोम या बर्थ डिफेक्ट्स का इतिहास होता है उनके बच्चों को बर्थ डिफेक्ट्स होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
 
 

डबल मार्कर करवाने का सही समय - Timing for Double Marker Test in Hindi

डबल मार्कर टेस्ट करवाने का सही समय 11 से 13 हफ्ते की प्रेगनेंसी के बीच होता है।
 
 

डबल मार्कर टेस्ट की कीमत - Double Marker Test Cost in Hindi

डबल मार्कर टेस्ट की कीमत 2000 रुपए के लगभग होती है। हर शहर और लैब में यह कीमत अलग अलग होती है।
 
 

डबल मार्कर टेस्ट की नॉर्मल वैल्यू - Double Marker Test Normal Values in Hindi

डबल मार्कर टेस्ट में तीन रिपोर्ट्स आती हैं लो, मॉडरेट और हाई रिस्क।

लो रिस्क का मतलब होता है की आपके बच्चे को बर्थ डिफेक्ट्स होने की संभावना बहुत कम या ना के बराबर है।

मॉडरेट रिस्क का मतलब होता है की आपके बच्चे को बर्थ डिफेक्ट्स हो सकते हैं और इसके लिए डॉक्टर्स कुछ और टेस्ट करवाते हैं।

हाई रिस्क का मतलब होता है की आपके बच्चे को बर्थ डिफेक्ट्स होने की संभावना सबसे अधिक है। 
 
इस स्थिति में डॉक्टर कुछ और टेस्ट करवाकर कंफर्म करता है और अबॉर्शन की सलाह देता है।
 
आजकल रिपोर्ट्स में स्क्रीन पॉजिटिव और स्क्रीन निगेटिव लिख कर आता है।
 
 
 
👇👇👇

Lav Tripathi

Lav Tripathi is the co-founder of Bretlyzer Healthcare & www.capejasmine.org He is a full-time blogger, trader, and Online marketing expert for the last 12 years. His passion for blogging and content marketing helps people to grow their businesses.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

फ़ॉलोअर