थैलेसीमिया का मरीज कब तक जीवित रह सकता है | Thalassemia Meaning in Hindi

 

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Thalassemia in Hindi - थैलेसीमिया होने का मुख्य कारण है हमारे DNA में म्यूटेशन जिसके कारण हमारा शरीर हिमोग्लोबिन नहीं बना पाता। हिमोग्लोबिन हमारे रेड ब्लड सेल्स का एक पार्ट होता है जो ऑक्सीजन का वाहक होता है। 

 

हिमोग्लोबिन कम होने की वजह से हमारे शरीर में आइक्सीजन की कमी होने लगती है जिसके कारण बहुत सी शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। 

 

थैलासीमिया में हमारे शरीर का हिमोग्लोबिन हमेशा कम रहता है। अगर आपको माइल्ड थैलासीमिया है तो आपको ट्रीटमेंट की कोई जरूरत नहीं है लेकिन इसके सीवियर होने पर आपको लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्कता होती है। 

 

यह म्यूटेशन माता पिता से बच्चों को होता है। हालांकि इसके होने की प्रायिकता भारत में बहुत कम है, लगभग 10,00,000 में से एक को थैलेसीमिया होता है।

 


थैलासीमिया के लक्षण - Symptoms Of Thalassemia in Hindi


1) बहुत ज्यादा थकान 

 

2) सांस का फूलना

 

3) पीली त्वचा

 

4) हड्डियों में दिक्कत या टेडापन खासकर चेहरे की हड्डियों पर

 

5) गाढ़े रंग की पेशाब

 

6) बच्चों का धीमा विकास


7) अनियमित धड़कन


8) बढ़ी हुई स्पलीन

 


थैलासीमिया के प्रकार - Types of Thalassemia in Hindi


हिमोग्लोबिन में चार प्रोटीन होते है दो अल्फा ग्लोबीन और दो बीटा ग्लोबिन प्रोटीन। इन दोनो अल्फा और बीटा ग्लोबिन में जब किसी में भी कोई असामान्यता होती है तो हमें अल्फा ग्लोबीन और बीटा ग्लोबिन थैलासीमिया हो जाता है।


अल्फा थैलीसीमिया Alpha Thalassemia


अल्फा थैलीसीमिया का मतलब होता है की आपका शरीर अल्फा हीमोग्लोबीन प्रोटीन चेन नहीं बना पा रहा। 

 

हमारे शरीर में चार जीन होते हैं जो अल्फा प्रोटीन चेन बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। दो अल्फा प्रोटीन जीन हमे माता से मिलता है और दो अल्फा प्रोटीन जीन हमे पिता से। 

 

अगर हमारे शरीर में अल्फा जीन की एक असामान्य कॉपी होती है तो हमें थैलीसीमिया नहीं होता लेकिन हम इसके वाहक होते हैं। 

 

लेकिन जब हमारे शरीर में दो असामान्य कॉपी होती है तो हमे माइल्ड अल्फा थैलासीमिया होता है। अगर हमारे शरीर में दो से ज्यादा असामान्य कॉपी होती है तो हमे सीवियर अल्फा थैलीसीमिया होता है। 


बीटा थैलीसीमिया  Beta Thalassemia


हमारे माता पिता से हमें २ बीटा ग्लोबिन चेन मिलती है, माता से एक और पिता से एक। अगर हमारे शरीर में बीटा जीन की एक असामान्य कॉपी होती है तब आपको माइल्ड बीटा थैलीसीमिया होता है।

 

यदि हमारे शरीर में बीटा जीन की दो असामान्य कॉपी होती है तो हमें मॉडरेट से सीवियर बीटा थैलीसीमिया होता है। 


थैलीसीमिया के कई सबटाइप भी होते हैं जैसे मेजर थैलीसीमिया और माइनर थैलीसीमिया।

 


थैलीसीमिया की जांच - Diagnosis Of Thalassemia in Hindi


थैलीसीमिया का पता लगाने के लिए मुख्यता CBC, हीमोग्लोबीन इलेक्ट्रोफोरेसिस, जीन टेस्टिंग, आयरन प्रोफाइल टेस्ट और बोन मैरो टेस्टिंग की जाती है। 

 

वैसे सिर्फ CBC और इलेक्ट्रोफोरेसिस से ही हमे काफी जानकारी मिल जाती है। बढ़ा हुआ स्पलीन भी इसका एक डायग्नोसिस होता है। 

 


थैलीसीमिया का ईलाज - Treatment of Thalassemia in Hindi


थैलीसीमिया के ईलाज के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन कितनी बार होना है यह आपकी बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। 

 

स्टेम सेल्स ट्रांस्प्लांट या बोन मैरो ट्रांसप्लांट से भी इसका इलाज होता है। कई बार डॉक्टर आयरन और फॉलिक एसिड के सप्लीमेंट भी देता है ताकि आपका हीमोग्लोबीन का स्तर बना रहे। 

 

इसके आलावा स्पलीन सर्जरी और आयरन चेलेशन थैरेपी भी की जाती है।

 


नोट:-

थैलीसीमिया को रोका नहीं जा सकता क्युकी यह जीन से ही बच्चों में ट्रांसमिट होता है। वैसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से आप थैलीसीमिया को ठीक कर सकते हैं, लेकिन इसका ठीक होने की प्रायिकता हर मरीज पर अलग अलग होती है।

 

ज्यादातर थैलेसीमिया के मरीज की उम्र 30 साल तक होती है। अगर सही से मैनेज किया जाए तो इंसान नॉर्मल लाइफ जी सकता है। 

 

लेकीन जयादातार थेलीसीमिया के मरीजों की मौत हार्ट फेल्योर की वजह से हो जाती है। माइल्ड या मॉडरेट थेलीसीमिया के मरीज की उम्र ज्यादा होती है। सीवियर थेलीसीमिया के मरीज ज्यादा नहीं जी पाते। 

 

 

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Lav Tripathi

Lav Tripathi is the co-founder of Bretlyzer Healthcare & www.capejasmine.org He is a full-time blogger, trader, and Online marketing expert for the last 12 years. His passion for blogging and content marketing helps people to grow their businesses.

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